Front Desk Architects and Planners Forum
ज्ञान और ज्ञेय संबंध (Relation of Knowledge and Object) - Printable Version

+- Front Desk Architects and Planners Forum (https://frontdesk.co.in/forum)
+-- Forum: जैन धर्मं और दर्शन Jain Dharm Aur Darshan (https://frontdesk.co.in/forum/forumdisplay.php?fid=169)
+--- Forum: Jainism (https://frontdesk.co.in/forum/forumdisplay.php?fid=119)
+--- Thread: ज्ञान और ज्ञेय संबंध (Relation of Knowledge and Object) (/showthread.php?tid=3394)



ज्ञान और ज्ञेय संबंध (Relation of Knowledge and Object) - Manish Jain - 07-29-2022

ज्ञान और ज्ञेय संबंध 
(Relation of Knowledge and Object)

जैन दर्शन अनुसार ज्ञान और ज्ञेय दोनों स्वतंत्र हैं ।
ज्ञेय हैं- द्रव्य, गुण और पर्याय। 
1. जो जानने योग्य हो। 
2. जो जाना जा सके।

ज्ञान है- आत्मा का गुण, उसका स्वभाव या धर्म।




ज्ञान और ज्ञेय में 'विषय-विषयी भाव' संबंध है।
प्रमाता (आत्मा) ज्ञान स्वभाव वाला होता है, इसलिए वह विषयी है। अर्थ (पदार्थ) ज्ञेय स्वभाव वाला होता है, इसलिए वह विषय है।
दोनों स्वतंत्र हैं फिर भी ज्ञान में ज्ञेय (अर्थ) को जानने की तथा ज्ञेय में ज्ञान के द्वारा जाने जा सकने की क्षमता है। अतः दोनों में विषय-विषयी संबंध हैं।

ज्ञेय-ज्ञायक संबंध, ग्राह्य-ग्राहक संबंध
समयसार / आत्मख्याति/31 ग्राह्यग्राहकलक्षणसंबंधप्रत्यासत्तिवशेन...भावेंद्रियावगृह्यमानस्पर्शादीनींद्रियार्थां...ज्ञेयज्ञायक संकरदोषत्वेनैव।
=
ग्राह्यग्राहक लक्षण वाले संबंध की निकटता के कारण...
भावेंद्रियों के द्वारा (ग्राहक) ग्रहण किये हुए, इंद्रियों के विषयभूत स्पर्शादि पदार्थों को (ग्राह्य पदार्थों को)...।
ज्ञेय (बाह्य पदार्थ) ज्ञायक (जाननेवाला) आत्मा-संकर नामक दोष...।