मुख्य द्वार किस दिशा में हो :-
#1

नीचे दियी गयी विधि से प्रवेश द्वार बना सकते हैं -

जिस दिशा में द्वार बनाना हो उस ओर की लम्बाई के ९ बराबर हिस्से करके ५  भाग दाहिनी तरफ तथा ३ भाग बाईं तरफ छोड़ कर शेष बचे भाग में द्वार बनाना चाहिए

भुखण्ड में विराजमान ३२ देवताओं के निवास का क्रम और उसका प्रभाव निम्न प्रकार से है ः

 पूर्व दिशा में ः


१.शिखि भाग में अग्नि का भय
२.पर्जन्य भाग में कन्याऔं की व्रद्धि
३.जयन्त भाग में धन सम्पति का लाभ
४.इन्द्र भाग में राज्य से लाभ व  राजप्रियता में बढ़ोतरी
५.सूर्य भाग में क्रोध का आधिक्य
६.सत्य भाग में असत्य की प्रचुरता
७.भृश भाग में क्रूरता
८.आकाश भाग में चोरी का भय

दक्षिण दिशा में ः


.वायु भाग में सन्तान की कमी
१०.पुषा भाग में सेवकाई
११.वितथ भाग में नीचताई
१२.वृहत्क्षत भाग में भक्ष्यपान व पुत्र वृद्धि
१३.यम भाग में भयंकरता
१४. गन्धर्व भाग में कृतघ्नता
१५.भृगराज भाग में निर्धनता
१६.मृग भाग में पुत्र पराक्रम नाश


पश्चिम दिशा में ः


१७.पितृ भाग में निर्धनता व अल्पायु
१८. दौवारिक भाग में व्यय की अधिकता
१९. सुग्रीव भाग में धननाश
२०. पुष्पदन्त भाग में धनवृध्दि
२१. वरुण भाग में भोग की प्राप्ति
२२. असुर भाग में राज भय
२३. शोष भाग में रोग आधिक्य
२४. पाप यक्ष्मा में पाप का सन्चय

उत्तर दिशा में ः

२५. रोग भाग में वध बन्ध भय
२६. अहि भाग में शत्रुओं की वृध्दि
२७. मुख्य भाग में पुत्र व धन लाभ
२८. भल्लाट भाग में विपुल लक्ष्मी प्राप्ति
२९. सोम भाग में धर्म और शील की उन्नति
३०. सर्प भाग में पुत्रों से शत्रुता
३१.अदिति भाग में स्त्रियों में दुष्टता
३२.दिति भाग में निर्धनता


Attached Files
.pdf Vastu Purush.pdf Size: 30.34 KB  Downloads: 2
Reply


Messages In This Thread
मुख्य द्वार किस दिशा में हो :- - by scjain - 04-02-2018, 11:13 AM

Forum Jump:


Users browsing this thread: 1 Guest(s)