संसार चक्र
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संसार चक्र 

एक बार एक व्यक्ति किसी घनघोर जंगल से गुजर रहा था. अचानक एक जंगली हाथी उसकी और झपटा. बचाव का कोई दूसरा उपाए न देखकर वह भागने लगा. 
फिर भी हाथी तेजी से उसके समीप आता जा रहा था. तभी एक बरगद के पेड़ की लटकती शाखाएं उसके हाथ में आ गयी.
वह व्यक्ति तत्काल उन डालियों को पकड़ कर ऊपर चढ़ कर लटक जाता है.
कुछ देर बाद उसकी दृष्टि में नीचे की ओर जाती है, तो वह देखता है कि नीचे एक कुंआ है और उस कुएं में कई भयानक विशाल अजगर उसके नीचे गिरने पर उसे खाने के लिए टकटकी लगा कर उसे देख रहे हैं.
भय से व्याकुल हो उसने ऊपर की और देखा, तो पाया कि पेड़ की वो डालियाँ जिनसे वह लटका हुआ है; उन्हें एक सफ़ेद और एक काला चूहा कुतर कुतर कर काट रहे हैं.
वह हाथी भी गुस्से में आकर पेड़ के तने को जोर-जोर से तोड़ने लगता है. 
इन सब घटनाओं से वह व्यक्ति अत्यंत भयाक्रांत हो जाता है. उसे अब अपनी मौत सामने खड़ी दिखती है. वह जोर-जोर से बचाव-बचाओ चिल्लाने लगता है.
तभी वहां से एक विमान में गुजर रहे देवी-देवता उसे देखते हैं और उस मनुष्य को इतनी बड़ी विकट स्थिति में देख कर करुणा करके उसे समझाते हैं कि तुम जल्दी से हमारे विमान में आ जाओ, हम तुम्हे सुरक्षित जगह पर पहुंचा देंगे.
वह मनुष्य विमान में चढ़ना ही चाहता है, तभी उसके मुंह में पेड़ पर लगे शहद के छत्ते से टपकती शहद की एक बूंद आ जाती है. 
स्वाद के सामने वह भय को भूल जाता है और मदमस्त होकर उस मधु की टपकती हर बूंद को पीने लगता है.
देवी-देवता उसे मधु का लोभ छोडकर विमान में चढ़ने के लिए बहुत समझाते हैं, लेकिन वह कहता है कि बस थोडा मधु और पी लूँ, फिर चढ़ता हूँ. 
कुछ ही देर में सफ़ेद और काले चूहों ने उस डाल को काट दिया, जिससे वह व्यक्ति लटका हुआ था. 
तत्काल ही वह व्यक्ति गिरकर उन अजगरों का भोजन बन जाता है. 
वे देवी-देवता भी उस व्यक्ति की इस मोही प्रवृत्ति को देख कर अत्यंत दुःख और आश्चर्य प्रगट करके चले जाते हैं.
हे प्रभो, इस चित्र को देख कर आप सोचते होगे कि अच्छा है कि हम लोग अब जंगल के पास नहीं रहते हैं और अब हमें इस तरह के खतरे का कभी भी सामना नहीं करना पड़ेगा.
लेकिन सच्चाई यह है कि अनंत सिद्ध भगवंत तो आपको अभी भी भव-वन या जन्म-मरण के इस जंगल में ही जीवन की डोर से लटका हुआ देख रहे हैं.
1. वे समझा रहे हैं कि यह जीवन बड़ा ही क्षणिक और नश्वर है. 
2. इसका हर एक सेकंड आपको मौत की ओर धकेल रहा है.
3. शहद या मधु की तरह ये सभी सांसारिक सुख भी अस्थायी ही हैं, काल्पनिक ही हैं.
4. इस चित्र में दर्शाया हाथी काल के समान आपको कुचलना चाहता है, 
5. सभी विकराल अजगर भी हर जगह आपकी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
6. काले तथा सफ़ेद चूहे के समान दिन और रात आपकी आयु को हर समय कुतर रहे हैं.
7. फिर भी आपको भोग और वासना रूपी यह शहद बड़ा ही स्वादिष्ट लग रहा है.
8. देवी-देवता आपको करुणावश अनंत सुख के विमान में चढ़ने के लिए बुला रहे हैं,
9. लेकिन थोड़ा और इन भोग-विलास का आनंद ले लूँ, फिर चलता हूँ; 
10. ऐसा कह कर आप अनंत सुख के इस विमान में नहीं बैठ रहे हो. 
11. फिर जल्द ही मृत्यु आ जाती है.
12. हे प्रभो, ऐसे ही इस संसार में रह रहे सभी मनुष्य भी भोग-विलास के इन सांसारिक सुखों को मधु के समान रसीले मान कर उसी को भोगने में खोये रहते हैं 
13. तथा सद्गुरु की शिक्षा को भूल कर अनंत सुख के विमान में नहीं बैठते हैं और शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं.
14. इसी कहानी का नाम संसार चक्र है.
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