समवशरण
#1

प्रशन----- समवशरण किसे कहते है 

उत्तर---- तीर्थंकर भगवान की उपदेश सभा अर्थात धर्मसभा को समवशरण कहते है समता का जहा पर हो अवतरण उसे कहते है समवशरण जहाँ पर बैठकर तिर्यंच ,मनुष्य ,देव दिव्यध्वनि का श्रवन कर सुख -- शान्ति का अनुभव करते है और वर्तमान, भूत भविष्य को जानते है ,देखते है ,उसे समवशरण कहते है।
प्रशन---- समवशरण मे कितने भवो के बारे मे देखा जाना जा सकता है ?
उत्तर---- समवशरण मे स्थित जीव तीन भूतकाल के ,तीन भविष्य काल के और एक वर्तमान भव को भामण्डल मे दर्पण की भाति देखकर जान सकता है भगवान से पूछने पर अनेक भवो के बारे मे ग्यान प्राप्त कर सकता है।
प्रशन---- समवशरण की रचना कब होती है ?
उत्तर---- जब तीर्थंकर को तपस्या के पश्चात केवलग्यान प्राप्त होता है तब समवशरण की रचना होती है।
प्रशन---- समवशरण की रचना कहा होती है ?
उत्तर----आकाश मे पृथ्वी से पांच हजार धनुष ( २० हजार हाथ ) की ऊँचाई पर अधर मे समवशरण की रचना होती है।
प्रशन---- समवशरण की रचना कौन करता है ?
उत्तर---- सौधर्म इंद्र की आग्या से कुबेर विक्रिया के द्वारा सम्पूर्ण तीर्थंकरो के समवशरण की विचित्र रूप से रचना करता
प्रशन---- समवशरण मे मनुष्य तिर्यंच कैसे पहुचते है?
उत्तर---- पृथ्वी से लेकर समवशरण तक एक-- एक हाथ की ऊंची ,लम्बी चौडी स्वर्णमय समवशरण के चारो ओर बीस -- बीस हजार सीढिया होती है जिन्हे प्रत्येक प्राणी मात्र 48 मिन्ट से पहले ही चढ़कर पहुच जाता है?
प्रशन--6-- समवशरण मे पहुंचने के बाद वहा क्या करते है?
उत्तर---- जो भव्य जीव समवशरण मे प्रवेश करते है वह साक्षात् भगवान के दर्शनों से उनकी अमृतमय वाणी से नेत्र ,कर्ण जीवन को सफल करता है
प्रशन--7--समवशरण की रचना किस आकार की होती है?
उत्तर---- समवशरण की रचना गोल आकार की होती है।
प्रशन--8---समवशरण मे कितनी भूमिया होती है ?
उत्तर---- समवशरण मे आठ भूमिया होती है
प्रशन--9-- समवशरण मे स्थित भूमियो के नाम क्या -- क्या होते है ?
उत्तर---- चैत्य प्रासाद भूमि , खातिका भूमि , लता भूमि ,उपवन भूमि , ध्वजा भूमि , कल्पवृक्ष भूमि , भवन भूमि , और श्री मण्डप भूमि यह आठ प्रकार की भूमिया होती है
प्रशन--10-- इन आठ भूमियो मे तीर्थकर भगवान कहां पर विराजमान रहते है ?
उत्तर---- समवशरण मे जो आठवीं श्री मण्डप भूमि होती है उसके बीचोबीच तीन कटनी से युक्त गन्धकुटी बनी होती है उसमे तीर्थंकर भगवान पद्मासन मे विराजमान होते है
प्रशन--11-- समवशरण मे कितनी सभा कहां पर किस प्रकार लगती है ?
उत्तर---- समवशरण मे श्री मण्डप नामक अष्टम भूमि मे गन्धकुटी के निकट चारो ओर गोलाकार मे बारह सभाएं लगती है
प्रशन--12-- समवशरण मे कौन जीव कहा तक प्रवेश कर पाते है ?
उत्तर---- समवशरण मे अत्यन्त भावुक ,श्रद्धालु भव्य जीव ही अष्टम भूमि मे प्रवेश कर पाते है ,अन्य जीव प्रारम्भ की सात मनोरम ,मनोरंजक भूमि मे मनोरंजन करते रहते है अष्टम भूमि मे प्रवेश नही कर पाते है
प्रशन--13-- समवशरण की आठवी भूमि मे अभव्य जीव प्रवेश क्यो नही कर पाते है ?
उत्तर-- समवशरण मे सातवीं भूमि के आगे भव्य कूट नामक स्तूप होते है जिन्हे अभव्य जीव देख नही पाते है और उनके नेत्रो के सामने अंधकार छा जाता है।
प्रशन--14-- क्या समवशरण मे मिथ्यादृष्टि जीव सम्यकदर्शन प्राप्त कर सकते है?
उत्तर---- हां , समवशरण की सातवीं भूमि के बाद आठवीं भूमि मे प्रवेश से पहले मानस्तम्भ के दर्शन करने से सम्यकदर्शन प्राप्त हो जाता है
प्रशन-15- मानस्तम्भ किसे कहते है?
उत्तर---- जिसके देखने मात्र से मान युक्त मिथ्यादृष्टि जीव का अभिमान गलित हो जाता है उसे मानस्तम्भ कहते है
प्रशन--- १६--दिव्यध्वनि किसे कहते है ?
उत्तर---- तीर्थकर केवली के सर्वांग से एक विचित्र गर्जना रूप जो ऊँकार ध्वनि अर्द्ध मागधी भाषा मे खिरती है उसे दिव्यध्वनि कहते है।
प्रशन-- १७--भगवान आदिनाथ जी के समवशरण मे प्रमुख गणधर कौन थे ?
उत्तर---- भगवान् आदिनाथ जी के समवशरण मे प्रमुख गणधर वृषभसेन जी थे
प्रशन-- १८--भगवान् महावीर स्वामी जी के समवशरण मे प्रमुख गणधर कौन थे ?
उत्तर---- भगवान् महावीर स्वामी जी के समवशरण मे प्रमुख गणधर इन्द्रभूति गौतम स्वामी थे
 
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