तीन गुप्ति—पांच समिति
#1

संयम के पुष्ट करने में 

तीन गुप्ति और पांच समिति 
बताई माता के समान 
आगम ग्रंथों मेंमहाव्रतियों के लिये ....
जिस प्रकार माता अपने बच्चे की करती रक्षा 
बचाकर किसी अनिष्ट से 
करती लालन-पोषण उसका 
उसी प्रकार साधक की प्रवृति में तीन गुप्ति और 
पांच समितियां करती उसकी पाप से रक्षा ....
इर्या समितिएषणा समितिभाषा समिति 
आदान-निक्षेपण समितिप्रतिष्ठापना समिति 
इर्या समिति : अर्थात प्रासुक मार्ग पर चलना आदि
एषणा समिति : अर्थात निर्दोष आहार ग्रहण की प्रवृति 
भाषा समिति : हितकारी एवं प्रमाणिक वचन का बोलना 
आदान-निक्षेपण समिति : वस्तु के उठाने/रखने में जीवों से बाधारहित प्रवृति 
प्रतिष्ठापना समिति : जीव जंतु रहित एकांत स्थान पर मल मूत्र आदि का त्याग में प्रवृतना 
हर क्रिया में प्रमाद रहित क्रिया जो साधक करता 
वो अपने व्रतों की रक्षा और पोषण करता .....
चारित्र की रक्षा में जो साधक सावधान रहता 
वो अपने मन-वचन-काय का निरोध कर अपने व्रतों की रक्षा करता 
मनोगुप्ति : अर्थात मन से राग/द्वेष का परिहार करना 
वचन गुप्ति : असत् वचन से निवृति कर ध्यान अध्ययन करना 
काय गुप्ति : हिंसादि पापों की निवृति पूर्वक कायोत्सर्ग आदि धारण करना 
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