चक्रवती के चौदह रत्न और नौ निधियाँ
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चक्रवती के चौदह रत्न और नौ निधियाँ 


चक्रवती के चौदह रत्न और उनके कार्य कार्य निम्न हैं


चक्ररत्न — बैरियों का संहार करना।
छत्र रत्न — सैन्यों के ऊपर आने वाली धूप, वर्षा, ओले आदि से रक्षा करना।
असि — चक्रवर्ती के चित्त को प्रसन्न करता है।
दण्ड — १६. कोस प्रमाण सैन्य भूमि को साफ कर समतल करता है।
मणिरत्न — इच्छित पदार्थों को प्रदान करता है।
काकिणीरत्न - गुफा आदि के अंधकार को चन्द्रमा, सूर्य की तरह दूर करता है।
चर्म — चक्रवर्ती के सैन्य आदि को नदी आदि पार कराता है।
गृहपति — राजभवन की समस्त व्यवस्था का संचालन और हिसाब रखता है।
सेनापति — आर्यखण्ड एवं पाँच म्लेच्छखण्डों पर विजय दिलाता है।
पुरोहित — सबको धर्मकर्मानुष्ठानों का मार्गदर्शन देता है।
रथपति - चक्रवर्ती की इच्छानुसार महल, मंदिर और प्रासाद आदि तैयार करता है।
स्त्री रत्न — चक्रवर्ती की पटरानी।
हाथी — शत्रुराजाओं के गजसमूह को विच्छिन्न करता है।
अश्व — तिमिस्रगुफा के कपाट का उद्धाटन करते समय बारह योजन तक छलांग लगाता है।


नौ निधियाँ और उनके कार्य निम्न हैं—


कालनिधि — तीनों ऋतुओं के योग्य द्रव्य प्रदान करती है।
महाकालनिधि — नाना प्रकार के भोज्य पदार्थ करती है।
माणवकनिधि — विविध प्रकार के आयुध प्रदान करती है।
पगलनिधि — नाना प्रकार के आभरण प्रदान करती है।
नैसर्प निधि — मंदिर एवं भवन प्रदान करती है।
पद्मनिधि — नाना प्रकार के वस्त्र प्रदान करती है।
पाण्डुकनिधि - अनेक प्रकार के धान्य (अनाज) प्रदान करती है।
शंखनिधि — अनेक प्रकार के वादित्र प्रदान करती है।
सर्वरत्ननिधि — अनेक प्रकार के रत्न प्रदान करती है।
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