जिनवाणी
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जिनवाणी
जैन धर्म में शास्त्रों को  अलग-अलग अनुयोग में विभाजित किया गया है। जैन शास्त्रो की कथन पद्धति को अनुयोग कहते हैं। हर अनुयोग के अपने अपने प्रमुख ग्रन्थ है। यह अनुयोग क्रमशः
·        प्रथमानुयोग -६३ शलाका पुरुषो की कथाएँ पुराण।
o                     प्रमुख ग्रंथ पद्मपुराण, महापुराण, आदिपुराण और अन्य।
·        करणानुयोग - कर्म सिद्धान्त लोक विभाग के शास्त्र।
o                     प्रमुख ग्रंथ षटखण्डागम, कषायपाहड और अन्य।
·        चरणानुयोग - श्रावक और मुनि का आचार-विचार।
o                     प्रमुख ग्रंथ रत्नकरण्ड श्रावकाचार, पद्म नंदी श्रावकाचार और अन्य।
·        द्रव्यानुयोग - चेतन-अचेतन द्रव्यों का स्वरूप तत्व का निर्देश।
o                      प्रमुख ग्रंथ समयसार, प्रवचनसार और अन्य।
लेकिन फिर भी यदि जैन धर्म के किसी एक ग्रंथ को सबसे प्रमुख कह सकते है तो वो निश्चित ही षटखण्डागम होगा।
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